निपात का मुख्य रूप से प्रयोग अव्यय के लिए किया जाता है लेकिन यह शुद्ध अब नहीं होते हैं और निपात का ना ही कोई लिंग वचन होता है।
निपात का प्रयोग निश्चित शब्द, शब्द समूह या पूरे वाक्य को अन्य भावार्थ प्रदान करने के लिए किया जाता है। निपट सहायक शब्द होते हैं फिर भी वाक्य के अंग नहीं होते।
परंतु निपात का प्रयोग वाक्य में करने से उस वाक्य का समग्र अर्थ प्रभावित होता है।
निपटा के प्रकार-
निपट मुख्य रूप से नौ प्रकार के होते हैं लिए जान लेते हैं कौन-कौन से हैं।
1. स्वीकृतिबोधन- हां ,जी ,जी हां।
2. नकारबोधन- नहीं, जी नहीं।
3. निषेधात्मक- मत।
4. प्रश्नबोधन- क्या।
5. विस्मयादिबोधक- क्या, काश।
6. तुलनाबोधन- सा।
7. अवधारणाबोधन- ठीक, लगभग, तकरीबन, करीब।
8. आदरबोधन- जी।
9. बलप्रदाय- तो, ही, भी, तक, भर, सिर्फ, केवल।
हिंदी में अधिकांशतः निपात उस शब्द या शब्द समूह के बाद आते हैं जिनको वे विशिष्टता या बल प्रदान करते हैं।
जैसे-
मोहन ने ही मुझे मारा था। ( इसका मतलब मोहन के अलावा और किसी ने नहीं मारा था।)
* मोहन ने मुझे ही मारा था। ( अर्थात मुझे ही मारा था और किसी को नहीं)
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