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भारतीय संविधान की प्रस्तावना.Preamble to the Indian constitution.

प्रस्तावना क्या है?
                        * प्रस्तावना एक दस्तावेज़ में एक परिचयात्मक कथन है जो दस्तावेज़ के दर्शन और उद्देश्यों की व्याख्या करता है।
* प्रस्तावना द्वारा यह संकेत दिया गया है कि संविधान के अधिकार का स्रोत भारत के नागरिकों के पास है।

* प्रस्तावना भारत को एक सम्प्रभुता, समाजवादी, धर्मनिरपेक्ष और लोकतांत्रिक गणराज्य घोषित करती है।

* प्रस्तावना द्वारा बताए गए उद्देश्य सभी नागरिकों के लिए न्याय, स्वतंत्रता, और समानता को सुरक्षित करना तथा राष्ट्र की एकता और अखंडता को बनाए रखने के लिए बंधुत्व को बढ़ावा देना है।

प्रस्तावना का इतिहास-
                                 भारत के संविधान की प्रस्तावना के पीछे के आदर्शों को पंडित जवाहरलाल नेहरू के उद्देश्य संकल्प द्वारा निर्धारित किया गया था, जिसे 22 जनवरी, 1947 को संविधान सभा द्वारा अपनाया गया था।

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*केशवानंद भारती केस: इस मामले में पहली बार 13 जजों की बेंच एक रिट याचिका की सुनवाई हुई जिसमें निर्णय हुआ कि संविधान की प्रस्तावना को अब संविधान का हिस्सा माना जाएगा। 

* 42 वें संशोधन अधिनियम, 1976 के माध्यम से प्रस्तावना में 'समाजवादी', 'धर्मनिरपेक्ष' और 'अखंडता' शब्द जोड़े गए।

* अब तक संविधान के प्रस्तावना में सिर्फ एक बार संशोधन किया गया है।

भारतीय संविधान की प्रस्तावना:

हम भारत के लोग, भारत को एक सम्पूर्ण प्रभुत्व सम्पन्न, समाजवादी, पंथनिरपेक्ष, लोकतंत्रात्मक गणराज्य बनाने के लिए तथा उसके समस्त नागरिकों को न्याय, सामाजिक, आर्थिक और  राजनीतिक,  विचार, अभिव्यक्ति, विश्वास, धर्म और उपासना की स्वतंत्रता,प्रतिष्ठा और अवसर की समता प्राप्त करने के लिए तथा,उन सबमें व्यक्ति की गरिमा और राष्ट्र की एकता और अखण्डता सुनिश्चित करनेवाली बंधुता बढाने के लिए,दृढ संकल्प होकर अपनी इस संविधान सभा में आज तारीख 26 नवंबर, 1949 ई0 को एतद द्वारा इस संविधान को अंगीकृत, अधिनियमित और आत्मार्पित करते हैं।"

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