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संविधान के मौलिक अधिकार.Fundamental rights of the constitution.

मौलिक अधिकार- 
                            मौलिक अधिकार उन अधिकारों को कहा जाता है जो व्यक्ति के जीवन के लिए मौलिक होने (स्वतंत्र होने) के लिए संविधान द्वारा नागरिकों को प्रदान किया जाता है जिसमें राज्य द्वारा किसी प्रकार का हस्तक्षेप नहीं किया जा सकता है।
                मौलिक अधिकार  ये ऐसे अधिकार हैं जो व्यक्ति के व्यक्तित्व के पूर्ण विकास के लिये आवश्यक हैं और जिनके बिना मनुष्य अपना पूर्ण विकास नही कर सकता।

             मौलिक अधिकार न्याय योग्य हैं तथा समाज के प्रत्येक व्यक्ति को समान रूप से प्राप्त होते है इन अधिकारों का उल्लंघन नही किया जा सकता।
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मौलिक अधिकारों का वर्गीकरण-
                                                भारतीय संविधान में भारतीय नागरिकों के लिए मौलिक अधिकार का वर्गीकरण संविधान के भाग 3 में अनुच्छेद 12 से 35 तक किया गया है।

                             भारतीय संविधान में पहले मौलिक अधिकारों की संख्या 7 थी 48 वां संविधान संशोधन 1976 के द्वारा संपत्ति के अधिकार को कानूनी अधिकार बना दिया गया इस प्रकार वर्तमान में हमारे संविधान में मौलिक अधिकारों की संख्या 6 है ।

मौलिक अधिकार-

1. समता का अधिकार- अनुच्छेद 14 से 18 तक।
2. स्वतंत्रता का अधिकार- अनुच्छेद 19 से 22 तक। 
3. शोषण के विरुद्ध अधिकार- अनुच्छेद 23 से 24 तक।
4. धार्मिक स्वतंत्रता का अधिकार- अनुच्छेद 25 से 28 तक।
5. सांस्कृतिक तथा शिक्षा संबंधित अधिकार- अनुच्छेद 29 से 30 तक।
6. संवैधानिक उपचारों का अधिकार- अनुच्छेद 32.

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साधारण कानूनी अधिकार और मौलिक अधिकार में अंतर-

साधारण कानूनी अधिकारों को राज्य द्वारा लागू किया जाता है और उनकी रक्षा की जाती है जबकि मौलिक अधिकारों को देश के संविधान द्वारा लागू किया जाता है तथा संविधान द्वारा ही सुरक्षित किया जाता है।

साधारण कानूनी अधिकारों में विधानमंडल द्वारा परिवर्तन किये जा सकते हैं परंतु मौलिक अधिकारों में परिवर्तन करने के लिये संविधान में संशोधन आवश्यक हैं।

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