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भारतीय संविधान के मौलिक कर्तव्य,The fundamental duties of the Indian constitution,

भारतीय संविधान-
                             भारतीय संविधान विश्व का सबसे बड़ा लिखित संविधान है भारत का संविधान जितना कठोर है उतना ही लचीला भी है।

            भारतीय संविधान के निर्माण में 2 वर्ष 11 माह 18 दिन का समय लगा था भारतीय संविधान में कुल 395 अनुच्छेद 12 अनुसूची(पहले 8 थी) तथा 22 भाग हैं। 

मौलिक कर्तव्य ( मूल कर्तव्य)-
                                       मौलिक कर्तव्य उद्देश्य की पूर्ति के लिए नहीं बल्कि सामाजिक परिवर्तन की कुंजी के रूप में शामिल किया गया है।
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* मूल संविधान में मौलिक कर्तव्य को शामिल नहीं किया गया था।

* मौलिक कर्तव्य को हमारे संविधान में रूस के संविधान (सोवियत संघ) से लिया गया है।

* हमारे संविधान में मौलिक कर्तव्य को 42वां संविधान संशोधन 1976 में स्वर्ण सिंह समिति की सिफारिश पर संविधान के भाग 4 A, अनुच्छेद 51 A में शामिल किया गया था।

* उस समय हमारे संविधान में मौलिक कर्तव्यों की संख्या 10 थी। 

* 86 वा संविधान संशोधन 2002 के माध्यम से हमारे संविधान में एक और मौलिक कर्तव्य, 6 से 14 वर्ष के बच्चों को अनिवार्य शिक्षा प्रदान करना, को जोड़ा गया जिससे वर्तमान समय में हमारे संविधान में मौलिक कर्तव्यों की संख्या 11 हो चुकी हैं। 

* राज्य के नीति निर्देशक सिद्धांतों की तरह, मौलिक कर्तव्य भी प्रकृति में गैर-न्यायिक हैं।

मौलिक कर्तव्य की संख्या-
                                       हमारे मूल संविधान में मौलिक कर्तव्य को शामिल नहीं किया गया था लेकिन वर्तमान समय में मौलिक कर्तव्यों की संख्या 11 है जो इस प्रकार है।

1.संविधान का पालन करें और उसके आदर्शों, संस्थाओं, राष्ट्रध्वज एवं राष्ट्रीय गान का आदर करें।

2.स्वतंत्रता के लिये राष्ट्रीय आंदोलन को प्रेरित करने वाले उच्च आदर्शों को हृदय में संजोये रखें और उनका पालन करें।

3.भारत की संप्रभुता, एकता और अखंडता की रक्षा करें तथा उसे अक्षुण्ण रखें।

4.देश की रक्षा करें और आह्वान किये जाने पर राष्ट्र की सेवा करें।

5.भारत के सभी लोगों में समरसता और समान भातृत्व की भावना का निर्माण करें जो धर्म, भाषा व प्रदेश या वर्ग आधारित सभी प्रकार के भेदभाव से परे हो, ऐसी प्रथाओं का त्याग करें जो स्त्रियों के सम्मान के विरुद्ध हैं।

6. हमारी सामासिक संस्कृति की गौरवशाली परंपरा का महत्त्व समझें और उसका परिरक्षण करें।

7.प्राकृतिक पर्यावरण जिसके अंतर्गत वन, झील, नदी और वन्यजीव आते हैं, की रक्षा और संवर्द्धन करें तथा प्राणीमात्र के लिये दया भाव रखें।

8.वैज्ञानिक दृष्टिकोण से मानववाद और ज्ञानार्जन तथा सुधार की भावना का विकास करें।

9.सार्वजनिक संपत्ति को सुरक्षित रखें और हिंसा से दूर रहें।

10.व्यक्तिगत और सामूहिक गतिविधियों के सभी क्षेत्रों में उत्कर्ष की ओर बढ़ने का सतत् प्रयास करें जिससे राष्ट्र प्रगति की और निरंतर बढ़ते हुए उपलब्धि की नई ऊँचाइयों को प्राप्त किया जा सके।

11.छह से चौदह वर्ष की आयु के बीच के अपने बच्चे बच्चों को शिक्षा के अवसर प्रदान करना (इसे 86वें संविधान संशोधन अधिनियम, 2002 द्वारा जोड़ा गया)।

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