उपराष्ट्रपति भारत का सर्वोच्च संवैधानिक पद है और इनका कार्यकाल 5 वर्ष का होता है इनका कार्यकाल समाप्त होने के बाद भी अपने पद पर बने रहते हैं जब तक अगला उत्तराधिकारी पद ग्रहण नहीं कर लेता है।
उपराष्ट्रपति को राज्य परिषद के एक प्रस्ताव द्वारा हटाया जा सकता है जो उसे समय उपस्थित सदस्यों के बहुमत से पारित किया गया हो और लोकसभा की समिति आवश्यक होती है इसके लिए उपराष्ट्रपति को 14 दिन पहले सूचना देना आवश्यक होता है।
उपराष्ट्रपति अपना त्यागपत्र भारत के राष्ट्रपति को देता है उपराष्ट्रपति राज्यों के परिषद का पदेन अध्यक्ष होता है इसके अलावा उसके पास कोई लाभ का पद नहीं होता है।
योग्यता-
भारत का नागरिक होना चाहिये।
35 वर्ष की आयु पूरी होनी चाहिये।
राज्यसभा के सदस्य के रूप में चुनाव के लिये योग्य होना चाहिये।
किसी लाभ के पद पर नहीं होना चाहिए।
राष्ट्रपति की शक्तियां-
राज्यसभा के सभापति को कोरम (गणपूर्ति) न होने की स्थिति में सदन को स्थगित करने या उसकी बैठक स्थगित करने का अधिकार है।
राष्ट्रपति को संविधान की 10वीं अनुसूची सभापति को दल-बदल के आधार पर राज्यसभा के सदस्य की अयोग्यता के प्रश्न का निर्धारण करने का अधिकार देती है।
सदन में विशेषाधिकार हनन का प्रश्न उठाने के लिये सभापति की सहमति आवश्यक है।
संविधान और नियमों की व्याख्या करना सभापति का कर्तव्य है
संवैधानिक प्रावधान-
अनुच्छेद 64: उपराष्ट्रपति राज्य सभा का पदेन अध्यक्ष होगा और लाभ का कोई अन्य पद धारण नहीं करेगा।
संविधान के अनुच्छेद 89 में सभापति (भारत के उप-राष्ट्रपति) और राज्यसभा के उपसभापति का प्रावधान है।
निर्वाचक मंडल-
भारत के संविधान के अनुच्छेद 66 के अनुसार, उपराष्ट्रपति का चुनाव निर्वाचन मंडल के सदस्यों द्वारा किया जाता है।
राज्यसभा के निर्वाचित सदस्य।
राज्यसभा के मनोनीत सदस्य।
लोकसभा के निर्वाचित सदस्य।
वर्तमान में भारत को उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ को राज्यसभा के सभापति के रूप में चुना गया।
दोस्तों आपको यह जानकारी कैसी लगी कमेंट करके जरूर बताएं।
0 टिप्पणियाँ