सूर्य ऊर्जा का सबसे बड़ा भंडार है यह इसमें मुख्य रूप से हाइड्रोजन और हीलियम गैसों का एक विशाल गोला है और यह ऊर्जा अपने केंद्र में पैदा करता है सूर्य का प्रकाश पृथ्वी तक आने में 8 मिनट 16 सेकंड का समय लगता है।
सूर्य की सतह का निर्माण हाइड्रोजन, हिलियम, लोहा, निकेल, ऑक्सीजन, सिलिकन, सल्फर, मैग्निसियम, कार्बन, नियोन, कैल्सियम, क्रोमियम तत्वों से हुआ है इनमें से हाइड्रोजन सूर्य के सतह की मात्रा का 74 % तथा हिलियम 24 % है।
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सूर्य ग्रहण-
विज्ञान के अनुसार जब चंद्रमा, पृथ्वी और सूर्य के बीच से होकर गुजरता है या पृथ्वी और सूर्य के बीच आ जाता है तो चंद्रमा के पीछे सूर्य का कुछ हिस्सा कुछ समय के लिए चंद्रमा से ढक जाता है जिससे सूर्य का कुछ हिस्सा पृथ्वी से देखने पर दिखाई नहीं देता है तो इसी घटना को सूर्य ग्रहण कहा जाता है।
पृथ्वी और सूर्य के बीच चंद्रमा के आ जाने से सूर्य की कुछ या सारी रोशनी को चंद्रमा रोक लेता है जिससे पृथ्वी पर साया फैल जाता है इसी घटना को सूर्य ग्रहण कहा जाता है सूर्य ग्रहण सदा अमावस्या के दिन ही होता है।
सूर्य ग्रहण एक तरह का ग्रहण है जब चन्द्रमा, पृथ्वी और सूर्य के मध्य से होकर गुजरता है तथा पृथ्वी से देखने पर सूर्य पूर्ण अथवा आंशिक रूप से चन्द्रमा द्वारा आच्छादित (ढक जाना)होता है चंद्रमा जब सूर्य को पूर्ण रूप से आच्छादित कर लेता है तो इसे पूर्ण सूर्य ग्रहण करते हैं ऐसी घटना सन 1999 के सूर्य ग्रहण के समय देखा गया।
वलयाकार सूर्य ग्रहण (बायें) तब दिखाई देता है जब चन्द्रमा सूर्य को पूरी तरह एक साथ नहीं आच्छादित कर पाता है ऐसी घटना 20 मई 2012 के सूर्य ग्रहण में देखा गया था।
चंद्रमा ज्यादातर सूर्य के कुछ हिस्से को ही ढक पाता है जिसे खंड ग्रहण करते हैं कभी-कभी ऐसा होता है कि चंद्रमा सूर्य को पूरी तरह से ढक लेता है जिसे पूर्ण ग्रहण करते हैं पूर्ण ग्रहण के समय चंद्रमा को सूर्य से गुजरने में 2 घंटे का समय लगता है और चंद्रमा सूर्य को पूरी तरह से ज्यादा से ज्यादा 7 मिनट तक ढक सकता है इस वक्त आसमान में कुछ क्षण के लिए पूरा अंधेरा हो जाता है या कहे तो दिन में रात हो जाती है।
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