दो अथवा दो से अधिक शब्दों से मिलकर बने हुए सार्थक शब्द को समास कहते हैं।
नीलकंठ और लंबोदर में कौन सा समास है इसकी पहचान करने के लिए सबसे पहले आपको कर्मधारय और बहुव्रीहि समास में अन्तर को समझना होगा।
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नीलकंठ और लंबोदर में समास की पहचान-
नीलकंठ और लंबोदर में कर्मधारय और बहुव्रीहि दोनों समास हैं लेकिन इसके समास विग्रह पर विशेष ध्यान देना होता है।
जैसे- नीलकंठ =नीला है जो कंठ - कर्मधारय समास
नीलकंठ =नीला है कंठ जिसका अर्थात शिव- बहुव्रीहि समास
लंबोदर= मोटे पेट वाला -कर्मधारय समास
लंबोदर =लंबा है उधर जिसका अर्थात गणेश- बहुव्रीहि समास
परीक्षा में सही करने का तरीका-
1. यदि आपकी परीक्षा में नीलकंठ या लंबोदर शब्द आ जाते हैं तो आपके परीक्षा के विकल्प में कर्मधारय या बहुव्रीहि समास में से एक ही आएगा।
2. यदि आपकी परीक्षा के विकल्प में कर्मधारय या बहुव्रीहि दोनों विकल्प में आ जाते हैं तो आपको सबसे पहले बहुव्रीहि समास को वरीयता देना है।
कर्मधारय और बहुव्रीहि समास में अंतर-
कर्मधारय और बहुव्रीहि समास में अंतर को समझने के लिए इसके विग्रह पर ध्यान देना चाहिए।
कर्मधारय समास में एक पद विशेषण या उपमान होता है और दूसरा पद विशेष्य या उपमेय होता है।
जैसे-
'नीलगगन' में नील विशेषण है तथा गगन विशेष्य है।
इसी प्रकार बहुव्रीहि समास में समस्त पद ही किसी संज्ञा के विशेषण का कार्य करता है।
जैसे-
'चक्रधर' में चक्र को धारण करता है जो अर्थात श्री कृष्ण
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