चंद्रमा पृथ्वी का चक्कर लगाता है और यह पृथ्वी की परिक्रमा 27 दिन 6 घंटे में पूरा करता है चंद्रमा का गुरुत्वाकर्षण पृथ्वी से 1/6 होता है चंद्रमा अपने अक्ष के चारो ओर एक पूरा चक्कर भी २७.३ दिन में लगाता है। यही कारण है कि चन्द्रमा का एक ही हिस्सा या फेस हमेशा पृथ्वी की ओर होता है।
चंद्रमा को पृथ्वी की बहन भी बोला जाता है चंद्रमा पर ऑक्सीजन और पानी नहीं है सन् २००४ के बाद से जापान, चीन, भारत, संयुक्त राज्य अमेरिका और यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी में से प्रत्येक ने चंद्र परिक्रमा के लिए यान भेजा है। इन अंतरिक्ष अभियानों ने चंद्रमा पर जल-बर्फ की खोज की पुष्टि के लिए विशिष्ठ योगदान दिया है।
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चंद्र ग्रहण-
सूर्य और चंद्रमा के बीच जब पीछे भी आ जाती है तो पृथ्वी की छाया चंद्रमा पर पड़ती है जिसके कारण चंद्रमा का छाया वाला भाग अंधकार में हो जाता है और हम धरती से चंद्रमा को देखते हैं तो छाया वाला भाग हमें काला दिखाई देता है या कुछ भाग दिखाई नहीं देता है जिसे चंद्रग्रहण कहा जाता है।
जब चंद्रमा के कुछ ही भाग पर छाया पड़ती है तो उसे आंशिक या खंड चंद्र ग्रहण करते हैं जब चंद्रमा के पूरे भाग पर पृथ्वी की छाया पड़ेगी और चंद्रमा का पूरा हिस्सा काला दिखाई देगा तो इसे पूर्ण चंद्र ग्रहण करत हैं
पूर्ण चंद्र ग्रहण सन 2025 में देखने को मिलेगा।
चंद्र ग्रहण कब लगता है?
चंद्र ग्रहण पूर्णिमा के दिन लगता है जब सूर्य और चंद्रमा के बीच पीछे भी आ जाती है तो सूर्य की किरण चंद्रमा के कुछ भाग पर नहीं पड़ती है जिससे पृथ्वी की छाया चंद्रमा पर पड़ने के कारण चंद्रमा का कुछ हिस्सा काला दिखाई देता है जिसे चंद्र ग्रहण कहते हैं।
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