सर्वप्रथम किसानों पर सिंचाई कर तुगलक वंश का शासक फिरोज़ शाह तुगलक ने लगाया था जिसे हक-ए-शर्ब के नाम से जाना जाता था जो सिंचित भूमि की कुल उपज का 1/10 वां भाग वसूला जाता था।
फिरोजशाह तुगलक(1351-1388)-
फिरोजशाह तुगलक दिल्ली सल्तनत में तुगलक वंश का शासक था यह मुहम्मद बिन तुगलक का चचेरा भाई एवं सिपहसलार ‘रजब’ का पुत्र था। उसकी माता का नाम 'जैजैला’ जो(‘भड़ी’ रजामल की पुत्री) राजपूत सरदार रजामल की पुत्री थी।
मोहम्मद बिन तुगलक की मृत्यु के बाद सन 1351 में फिरोज़ शाह तुगलक दिल्ली सल्तनत की गद्दी पर बैठता है सुल्तान बनने के बाद फिरोजशाह तुगलक ने पुराने 24 करो को माफ कर केवल चार करो को मुख्य रूप से लागू रखा जो इस प्रकार है।
1 खराज ( लगान )
2 जजिया ( गैर-मुस्लिमों से वसूला जाने वाला कर)
3 खम्स ( युद्ध में लूट का माल )
4 जकात ( मुस्लमानों से लिया जाने वाला कर )
फिरोज़ शाह तुगलक अपने शासन के दौरान हिंदुओं को मुस्लिम धर्म अपनाने के लिए मजबूर कर दिया फिरोज तुगलक ने इसलिए भी कट्टर धार्मिक नीति अपनाई, क्योंकि उसकी मां भीटू राजपूत थी तथा उसके सुल्तान बनने पर उलेमा वर्ग फिरोज तुगलक को शंका की दृष्टि से देखते थे।
फिरोजशाह तुगलक ने एक ब्राह्मण को जिंदा जला दिया है क्योंकि वह मुसलमानों के बीच हिंदुओं की प्रशंसा कर रहा था इसने पर्दा प्रथा को प्रोत्साहन दिया तथा अनेक मस्जिदों व मदरसों का निर्माण करवाया।
फिरोज तुगलक ने बंजर भूमि के विकास पर विशेष ध्यान दिया तथा इससे प्राप्त होने वाली आय को धार्मिक कार्यों पर खर्च करना नियत किया,फिरोज तुगलक ने कृषि के विकास के लिये सतलज व यमुना से अनेक नहरें बनवाई।
इसी प्रकार फिरोज तुगलक ने फलों के 1200 बगीचे लगाये तथा फलों के निर्यात पर बल दिया।
उसने अपने जीवन काल में कुल 4 अभियान प्रारंभ किए दो बंगाल के विरुद्ध पहला 1353 में इलियासशाह के समय दूसरा 1359ई. में सिकंदरशाह के काल में। इन दोनों के काल में राजधानी पंडुआ थी फिरोजशाह तुगलक ने उत्तर प्रदेश में जौनपुर नामक नगर की स्थापना की और इस नगर का नाम जौनाखाँ (मुहम्मद बिन तुगलक) के नाम पर रखा।
तीसरा अभियान 1360-61ई.में नगरकोट(बंगाल) पर किया गया ज्वालामुखी मंदिर को लूट कर मंदिर को नष्ट कर दिया तथा मंदिर में स्थित पुस्तकालय के संस्कृत ग्रंथों को फारसी में अनुवाद करवाया।
चौथा अभियान सिंध के शासक जैमवबानिया के विरुद्ध 1362ई. में युद्ध किया।
1388ई. में फिरोज तुगलक की मृत्यु के बाद तुगलक वंश का पतन हो गया।
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