अफ्रीका महाद्वीप-
कुछ इतिहासकारों का मानना है कि इसी महाद्वीप में सबसे पहले मानव का जन्म व विकास हुआ और यहीं से जाकर वे दूसरे महाद्वीपों में बसे, इसलिए इसे मानव सभ्यता की जन्मभूमि माना जाता है।
अफ्रीका महाद्वीप की सबसे ऊंची चोटी या पर्वत- अफ्रीका महाद्वीप की सबसे ऊंची चोटी किलिमंजारो पर्वत है जिसकी ऊंचाई समुद्र तल से 5,895 मीटर या 19,341 फीट है अन्य पर्वत माउंट मेरु, एटलस पर्वत, लोमा पर्वत तथा ,ड्रेकन्सबर्ग पर्वत भी हैं
यहां सबसे बड़ा सहारा मरुस्थल तथा विक्टोरिया झील दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी मीठे पानी की झील अफ्रीका महाद्वीप में स्थित है तथा विश्व की सबसे बड़ी नदी नील नदी जो मिश्र देश से निकलती है अफ्रीका महाद्वीप में स्थित है।
अफ्रीका महाद्वीप का क्षेत्रफल 3,02,21,532 किमी2 (11,668,598.7 वर्ग मील)है तथा यहां का जनसंख्या घनत्व 30.51/किमी2 (लगभग 70/वर्ग मील)है।
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अफ्रीका महाद्वीप में देशों की संख्या-
अफ्रीका महाद्वीप में कुल 54 देश हैं।
अफ़्रीका महाद्वीप एशिया महाद्वीप के बाद विश्व का दूसरा सबसे बड़ा महाद्वीप है। यह 37°14' उत्तरी अक्षांश से 34°50' दक्षिणी अक्षांश एवं 17°33' पश्चिमी देशांतर से 51°23' पूर्वी देशांतर तक फैला हुआ है।
अफ्रीका महाद्वीप के के उत्तर में भूमध्यसागर एवं यूरोप महाद्वीप, पश्चिम में अंध महासागर, दक्षिण में दक्षिण महासागर तथा पूर्व में अरब सागर एवं हिंद महासागर स्थित हैं पूर्व में स्वेज भूडमरूमध्य इसे एशिया से जोड़ता है तथा स्वेज नहर इसे एशिया से अलग करती है। जिब्राल्टर जलडमरूमध्य इसे उत्तर में यूरोप महाद्वीप से अलग करता है।
अफ्रीका महाद्वीप में बड़े-बड़े मरुस्थल, अत्यंत घने वन, विस्तृत घास के मैदान,बड़ी- बड़ी नदियां और झीलें तथा विभिन्न प्रकार के जंगली जानवर पाए जाते हैं।
तीनों रेखाएं मकर रेखा, भूमध्य रेखा तथा कर्क रेखा अफ्रीका महाद्वीप से होकर गुजरती है इस प्रकार अफ़्रीका महाद्वीप का अधिकांश भाग उष्ण कटिबन्ध में पड़ता है। उत्तर एवं दक्षिण के बहुत कम भाग समशीतोष्ण कटिबन्ध में पड़ते हैं।
प्राकृतिक संसाधनों से परिपूर्ण होते हुए भी अफ्रीका महाद्वीप विश्व का सबसे दरिद्र और सबसे अविकसित भू-भाग है। यातायात एवं तकनीकी का विकास न होने के कारण इन संसाधनों का समुचित उपयोग नहीं हो पाया है। अफ्रीका महाद्वीप की अधिकांश जनसंख्या आज भी अशिक्षित है, इसी से इस महाद्वीप को अन्ध महादेश भी कहते हैं।
औद्योगिक क्रांति के कारण यूरोप वालों को कच्चा माल प्राप्त करने तथा निर्मित माल बेचने के लिए अफ़्रीका की खोज करने की आवश्यकता पड़ी। शीघ्र ही पता चला कि यह हीरा, सोना, ताँबा, एवं यूरेनियम का भण्डार-गृह है अतः इसके संसाधनों का दोहन आरम्भ हुआ।
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