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उत्तर प्रदेश के किस जिले में सबसे ज्यादा अफ़ीम होती है? अफ़ीम किससे प्राप्त होती है? इसमें कौन सा होता है? जानें बहुत कुछ।

                                 दोस्तों आपको पता होगा कि अफ़ीम एक प्रकार का नशीला पदार्थ है जिसका प्रयोग मनुष्य नासा, दवा आदि के रूप में करता है हमारे उत्तर प्रदेश में अफीम की खेती कई जिलों में की जाती है तो आइए जान लेते हैं अफीम की खेती सबसे ज्यादा किस जिले में होती है।

UP में अफीम की खेती सबसे ज्यादा कहां होती है?

                         उत्तर प्रदेश में सबसे ज्यादा अफीम  बाराबंकी जिले में होती है इसके अलावा उत्तर प्रदेश के रुहेलखंड इलाके के बदायूं ,बरेली, पीलीभीत शाहजहांपुर ,रामपुर में अफीम की खेती होती है।

           बाराबंकी जिले को अफीम की खेती का गढ़ माना जाता है क्योंकि सबसे ज्यादा अफीम बाराबंकी जिले से ही प्राप्त होती है जब बीते कुछ सालों से अफीम की खेती में किसानों को नुकसान होने लगा था और उत्तर प्रदेश के कई जिलों में किसानो ने सरकार द्वारा अफीम की खेती के लिए लाइसेंस दिया जा रहा था तो किसानों ने लाइसेंस लेने से मना कर दिया इसके बावजूद भी बाराबंकी जिले में कई किसान आज भी सरकार द्वारा दिए गए अफीम की खेती के लाइसेंस पर पोस्ता की खेती करते हैं।


अफ़ीम किससे प्राप्त होती है?
                                      अफीम एक पौधे से निकाली जाती है जिसे राजस्थान में डोडा और उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, झारखंड, उड़ीसा में इसे पोस्त (posta) करते हैं

  अफ़ीम (Opium ) का वैज्ञानिक नाम ( lachryma papaveris) अफ़ीम के पौधे पैपेवर सोमनिफेरम के 'दूध' (latex) को सुखा कर बनाया गया पदार्थ है, जिसके सेवन से मादकता,तेज नीद आती है। अफीम में 12% तक मार्फीन (morphine) पायी जाती है अफीम मॉर्फिन (morphine), कोडेन (codeine) और बैन (baine) जैसे अल्कालोइड (alkaloids) का स्रोत होता है।

                  जिसको प्रसंस्कृत (प्रॉसेस) करके हीरोइन (heroin) नामक मादक द्रब्य (ड्रग) तैयार किया जाता है।

                                     

अफ़ीम की खेती के लिए लाइसेंस-
                                               अफीम की खेती करने के लिए सरकार से लाइसेंस लेना पड़ता है या सरकार द्वारा किसानों को अफीम की खेती करने के लिए लाइसेंस दिया जाता है और अफीम की फसल का मूल्य निर्धारित कर दिया जाता है बिना लाइसेंस के अफीम की खेती करना कानूनन अपराध है।

                           किसान अफीम की फसल को तैयार करता है और सरकार के कर्मचारियों द्वारा समय-समय पर खेती की देखरेख की जाती है जब पोस्ता की फसल से अफीम निकालने का समय आता है तब किसान के खेत पर अफीम अधिकारी पहुंचता है और पोस्ता के पौधे से अपनी नजरों के सामने अफ़ीम निकलवाता है।

                   अफीम निकालने के बाद किसानों को सरकार के द्वारा निर्धारित किए गए मूल्य के अनुसार उसे खरीद लिया जाता है और किसानों को उसकी कीमत मिल जाती है पोस्ता की खेती में किसानों को बहुत अधिक मेहनत, देखरेख करनी पड़ती है जब तक फसल तैयार नहीं हो जाती है तब तक किसान अपने खेतों को ऐसे ही नहीं छोड़ सकते हैं।


अफीम का उपयोग - 
                            यदि आप अफीम की निर्धारित मात्रा में जरूरत पड़ने पर लेते हैं तो आप कई रोगों के इलाज में उपयोग कर सकते हैं।

1. सिर दर्द को ठीक करने में अफीम का उपयोग किया जाता है।
2. दांत दर्द के इलाज में।
3. कमर दर्द को ठीक करने के लिए।
4. खांसी के इलाज में।
5. स्वरदोष को ठीक करने के लिए।
6. अनिद्रा की शिकायत में।
7. अतिसार के इलाज में।
8. वमन, उबकाई के इलाज में।

अफीम से नुकसान - 
                               यदि आपको अफीम की लत लग जाती है और आप बिना जरूरत के इसका सेवन करते हैं तो आपको कई नुकसान हो सकते हैं।

1. अधिक नींद आना।
2. श्वास की गति धीमा होना।
3. कमजोरी।
4. अधिक पसीना होना।
5. नाड़ी की गति मंद होना ( ब्लड प्रेशर कम होना )
6. श्वास लेने तकलीफ होना।
7. त्वचा में संकोचन।
8. त्वचा का काली हो जाना।
9. आंख की पुतलियों का संकुचन।

पूछे जाने वाले प्रश्न

उत्तर प्रदेश में सबसे ज्यादा अफीम किस जिले में होती है?
बाराबंकी जिले में।

अफीम किस पौधे से प्राप्त होती है?
पैपेवर सोमनिफेरम या पोस्ता से

अफीम में कौन सा पदार्थ पाया जाता है?
मार्फीन (morphine)

अफीम  कैसा पदार्थ है?
मादक पदार्थ

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