झेलम या वितस्ता का युद्ध 326 ईसा पूर्व झेलम नदी के किनारे महान सम्राट विश्व विजेता सिकंदर और पंजाब के राजा पोरस के बीच हुआ था। झेलम का युद्ध भारतीय इतिहास का बड़ा ही भीषण युद्ध रहा है इस युद्ध में हजारों सैनिक मारे गए. इस युद्ध में सिकंदर ने राजा पोरस को पराजित कर दिया लेकिन राजा पोरस के साहस को देखकर सिकंदर ने राजा पोरस को जीवनदान दे दिया और दोनों में मित्रता हो गई।
युद्ध के बाद सिकंदर की थकी हुई सेना ने ब्यास नदी ( विपासा) पार करने से इनकार कर दिया और वापस लौट गए इस युद्ध को हाईडेस्पीज युद्ध के नाम से भी जाना जाता है।
सिकंदर कौन था?
आइए जान लेते हैं सिकंदर के बारे में की सिकंदर कौन था?
सिकंदर मकदुनिया के राजा फिलिप का पुत्र था सिकंदर का जन्म 356 ईसा पूर्व मकदूनिया में हुआ था मकदूनिया यूनान के अंतर्गत एक छोटी सी रियायत थी यूनान छोटे-छोटे राज्यों में बटा हुआ था मकदूनिया यूनान के उत्तर में एक पहाड़ी देश था 400 ईसा पूर्व पहले मकदुनिया के राजा फिलिप यूनान के सभी राज्यों को जीत कर अपने अधिकार में कर लिया।
सिकंदर बचपन से ही समझदार और लड़ाकू स्वभाव का था और सिकंदर की शरीर स्वस्थ, तेज, फुर्तीला और बलवान था सिकंदर के गुरु का नाम अरस्तु और घोड़े का नाम बऊकेफला था सिकंदर प्रारंभ से युद्ध करने के लिए उत्साहित रहता था सिकंदर विश्व पर विजय प्राप्त कर महान सम्राट बनने के लिए सपना देख था लोग उसकी बातों को सुनकर हंसा करते थे।
20 वर्ष की आयु 336 ईसा पूर्व में सिकंदर मकदुनिया के राज सिंहासन पर बैठा और राजा बनते ही वह विश्व पर विजय करने के लिए निकल पड़ा। यूनान के साथ फारस की पुरानी दुश्मनी थी 492 ईसा पूर्व फारस के सम्राट मारजैनियस ने यूनान पर आक्रमण किया और यूनान की राजधानी एथेंस को जला दिया था इसी कारण सिकंदर राजा बनते ही 30,000 पैदल व 5000 सवारी सेना के साथ फारस पर आक्रमण कर दिया और फारस को जीत कर उस पर अपना अधिकार कर लिया।
फारस पर अधिकार करने के बाद सिकंदर एशिया के प्रदेशों को विजय करने के लिए निकल पड़ा और मध्य एशिया के कई देशों तुर्किस्तान, अफगानिस्तान, और कई दुसरे राज्यों पर एक-एक करके अपना अधिकार कर लिया। इसके बाद अफगानिस्तान के काबुल से सीधा रास्ता हिन्दू कुश पर्वत को पार करता हुआ कोहेदामन की घाटी के पास पहुंचा। और भारत के रास्ते पर चलकर जलालाबाद के पश्चिम की ओर एक स्थान पर सिकंदर ने अपनी सेना का विभाजन किया और आगे बढ़ता रहा रास्ते में पड़ने वाले जो राज्य सिकंदर के प्रभुत्व को स्वीकार करते थे उनको मिलाता गया और जो राज्य शिकार नहीं करते थे उनका विनाश करता गया।
सिकंदर खैबर दरें से होकर भारत आया था तथा उसका पहला आक्रमण तक्षशिला के राजा आम्भि के विरुद्ध था इस प्रकार भारत की ओर बढ़ते हुए यूनानी सेना ने अनेक लंबे-लंबे पहाड़ी रास्तों, घाटियों और नदियों को पार किया और सभी राज्यों को जीतता गया, और झेलम का युद्ध जीतने के बाद सिकंदर की मृत्यु ब्यास नदी से वापस लौटते वक्त 323 ईसा पूर्व बेबीलोन में सिकंदर की मृत्यु हो गई बताया जाता है कि सिकंदर की मृत्यु मलेरिया के कारण हुई थी। सिकंदर भारत में लगभग 19 महीने रहा था।
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