कृष्ण जन्माष्टमी - कृष्ण जन्माष्टमी हिंदुओं का एक ऐसा त्यौहार है जिसे बड़े ही धूमधाम से मनाया जाता हैै कृष्ण जन्माष्टमी भगवान श्री कृष्ण के जन्मोत्सव के रूप में मनाया जाता है। कृष्ण, भगवान विष्णु के आठवें अवतार के रूप में जन्म लिए थे।
श्री कृष्ण का जन्म भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि और रोहणी नक्षत्र में देवकी के गर्भ से मथुरा में मामा के कारावास में हुआ था। तभी से भाद्रपद माह के अष्टमी तिथि को भगवान श्री कृष्ण का जन्म दिवस मनाया जाता है इनका पालन-पोषण माता यशोदा ने किया था श्री कृष्ण बचपन से ही बहुत नटखट और शरारती थे।
कृष्ण जन्माष्टमी एक ऐसा त्यौहार है जिसे केवल भारत में ही नहीं बल्कि विदेशों में भी हिंदुओं द्वारा मनाया जाता है इस दिन लोग उपवास रहते हैं और मंदिरों तथा घरों में कृष्ण की झांकियां सजाते हैं और श्री कृष्ण को झूला भी झूलाते हैं भगवान की प्रार्थना करते हैं तथा भोग भी लगाते हैं।
कृष्ण जन्माष्टमी के दिन कान्हा की मनमोहक छवि देखने के लिए श्रद्धालु दूर-दूर से मथुरा आते हैं श्री कृष्णा महोत्सव पर मथुरा में मंदिरों को मनमोहक रूप से सजाया जाता है बहुत से श्रद्धालु अपने घरों पर कृष्ण की झांकी सजाते हैं और दूध, दही ,मक्खन का भोग लगाकर नए वस्त्र भी पहनाते हैं।
बहुत से लोग कृष्ण जन्माष्टमी के दिन फूलों की होली तथा गुलाल की होली भी खेलते हैं यह एक ऐसा त्यौहार है जिसे लोग बहुत ही हर्षोल्लास से मनाते हैं।
कृष्ण जन्माष्टमी 2021 शुभ मुहूर्त - कृष्ण जन्माष्टमी 30 अगस्त 2021 दिन सोमवार को है। पूजा का शुभ मुहूर्त 30 अगस्त रात 11 बजकर 59 मिनट से रात 12 बजकर 44 मिनट तक है इस दिन मध्य रात्रि मुहूर्त में ही कान्हा का जन्म होगा आपको पूजा के लिए कुल 45 मिनट का शुभ समय होगा।
कृष्ण जन्माष्टमी क्यों मनाया जाता है? - धरती पर बढ़ रहे पापियों के जुल्मों को मिटाने के लिए भगवान विष्णु ने इस धरती पर कृष्ण भगवान के रूप में जन्म लिया था
श्री कृष्ण ने माता देवकी के कोख से मामा कंस का वध करने के लिए आठवें पुत्र के रूप में मथुरा में जन्म लिया था। भगवान श्री कृष्ण का जन्म भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को हुआ था तभी से भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को भगवान श्री कृष्ण के जन्म दिवस पर कृष्ण जन्माष्टमी के रूप में मनाया जाता है।
दही हांडी फोड़ उत्सव - श्री कृष्णा को दूध दही मक्खन बहुत ही पसंद था इसकी वजह से हुआ पूरे गांव के माखन चोरी करके खा जाते थे श्री कृष्ण को माखन चोरी करने से रोकने के लिए एक दिन माता यशोदा ने श्री कृष्णा को खंभे से बांध देती है उसी दिन से श्री कृष्ण का नाम माखन चोर पड़ गया।
माखन को बचाने के लिए वृंदावन की महिलाओं ने माखन से भरे मटकी को ऊपर लटकाना शुरू कर दिया जिससे श्री कृष्ण के हाथ वहां तक नहीं पहुंच सके, लेकिन शरारती श्री कृष्ण के बुद्धि के आगे इनकी योजना नाकाम हो जाती है श्री कृष्ण अपने मित्रों के साथ मिलकर योजना बनाकर एक के ऊपर एक चढ़कर मक्खन से भरी हांडी को चुराकर,फोड़ कर खा जाते थे तभी से हांडी फोड़ उत्सव मनाया जाता है।
जय श्री कृष्णा
जय श्री कृष्णा
जय श्री कृष्णा
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